कविताएँ
अन्ना अख्मातोवा
सच्ची कोमलता
सच्ची कोमलता चुप्पी है
और इसे कुछ और नहीं माना जा सकता है
व्यर्थ ही उद्दाम इच्छा से तुम
ढक रहे हो मेरे कंधों को फर से;
व्यर्थ में तुम कोशिश करते हो
पहले प्यार की खूबियों पर यकीन दिलाने की
अर्थ जानती हूँ मगर मैं अच्छी तरह
तुम्हारी निरंतर जलती निगाहों का
प्रस्थान
हालाँकि यह धरती मेरी अपनी नहीं है,
मुझे याद रहेगा इसका अंतर्देशीय समुद्र
और जल जो इतना शीतल है
झक्क सफेद रेत
मानो पुरानी हड्डियाँ हों, हैरानी है देवदार के पेड़
वहाँ सुर्ख लाल होते हैं जहाँ सूरज नीचे आता है
मैं नहीं बता सकती यह हमारा प्यार है
या दिन, जो खत्म हो रहा है
थेबिस में अलेक्जेंडर
मुझे लगता है राजा युवा मगर दुर्दांत था,
जब उसने घोषणा की, 'तुम थेबिस को मिट्टी में मिला दो'
और बूढ़ा प्रमुख इस शहर को गौरवमय मानता था
उसने देखा था वह वक्त जिसके बारे में कवि गाया करते थे
सब कुछ जला डालो! राजा ने एक सूची और बनाई
मीनार, द्वार, मंदिर - संपन्न और पनपते हुए
मगर विचारों में खो गया, और चेहरे पर चमक लाकर कहा,
'तुम बस महाकवि के परिवार के जीवित लोगों के नाम दे दो'
बोरिस पास्तरनाक के लिए
बंद हो गई अनूठी आवाज यहाँ,
झुरमुटों का साथी बिछुड़ गया हमसे हमेशा के लिए
बन गया है वह शाश्वत श्रोता
बारिश में जिसने कई बार गाया था
और आकाश के नीचे उगने वाले सभी फूल,
पनपने लगे - जाती हुई मौत से मिलने के लिए
मगर अचानक उसे शांत व्यक्ति मिल गया और दुखी हो गया -
वह ग्रह, जिसका सादा सा नाम पृथ्वी था
और पुश्किन का निर्वासन
और पुश्किन का निर्वासन, यहीं शुरू हुआ था
और लेरमोंतोव का निष्कासन "रद्द" कर दिया गया
राजमार्ग पर आम घास की खुशबू फैली है
झील के पास, जहाँ विमान और पेड़ों की छायाएँ मंडराती हैं
उस कयामत की घड़ी में शाम होने से पूर्व
बस एक बार मिला संयोग मुझे इसे देखने का
इच्छा से भरी आँखों की तेज रोशनी
तमारा के हमेशा जीवित रहने वाले प्रेमी की
काले लिबास में विधवा
काले लिबास में एक विधवा - रोने लगती है
एक निराशाजनक बादल के साथ
ढाँप देती है सब दिलों को एक निराशा के कोहरे से
जब याद किए जाते हैं उसके पति के शब्द साफ-साफ
उसका ऊँचे स्वर में विलाप बंद नहीं होगा
चलेगा यह रुदन तब तक, जब तक बर्फ के गोले
दुखी और थके लोगों को सुकून नहीं देंगे
पीड़ा और प्रेम की विस्मृति का मोल
हालाँकि जीवन देकर चुकाया गया
इससे ज्यादा क्या चाहा जा सकता था ? |